आखिर भंवरी केस की मास्टरमाइंड इंद्रा (Indra) को क्यों नहीं मिली जमानत
राजस्थान के बहुचर्चित एएनएम भंवरी (Bhanwari) हत्याकांड में पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक सहित सभी को जमानत मिल चुकी है। इस मामले में अब सिर्फ पूर्व विधायक मलखान की बहन इंद्रा (Indra) विश्नोई जेल में है। अब सवाल उठ रहा है कि जब सभी 16 आरोपियों को कोर्ट से जमानत मिल चुकी है तो इंद्रा (Indra) को क्यों नहीं ? उसके वकील अब हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाने की तैयारी में है।
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जानकारों का मानना है कि इंद्रा (Indra) इस केस की मास्टर माइंड थी। वह अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए भंवरी (Bhanwari) के साथ मिलकर परिवार को धोखा दे रही थी। उधर ये भी सामने आया कि भंवरी (Bhanwari) की मौत में उसका सबसे बड़ा हाथ था।
आपको बता दें की भंवरी (Bhanwari) मामले के बाद इंद्रा (Indra) ने साढ़े पांच साल तक नर्मदा के तट पर गुमनाम जीवनयापन कर फरारी काटी थी। पांच लाख रुपए की इनामी इंद्रा (Indra) बहुत मुश्किल से पकड़ में आई थी। वह साल 2017 में पकड़ी गई और तभी से जेल में है। अब उसकी तरफ से जमानत याचिका दायर करने की तैयारी की जा रही है। ट्रायल कोर्ट उसकी याचिका को खारिज कर चुका है। अन्य सभी आरोपियों की जमानत याचिका ट्रायल कोर्ट ने खारिज की थी। बाद में हाईकोर्ट ने सभी को जमानत दे दी थी।
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जानकारी अनुसार सितम्बर 2011 में भंवरी के अपहरण का मामला दर्ज होने के बाद इंद्रा (Indra) भी सुर्खियों में आ गई थी। 3 नवंबर 2011 को सीबीआई ने पहली बार उससे पूछताछ की थी। एक महीने में उससे 6 बार पूछताछ की गई। फिर 3 दिसंबर 2011 को वह फरार हो गई थी। इंद्रा (Indra) के राज उगलने के बाद सीबीआई ने ताबड़तोड़ गिरफ्तारियां शुरू की तो बचने के लिए इंद्रा (Indra) फरार हो गई। लंबे समय तक इंद्रा (Indra) का कोई पता नहीं चल पाया। सीबीआई ने उसकी गिरफ्तारी पर 5 लाख रुपए का इनाम घोषित किया।
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इंद्रा (Indra) के फरार होने के बाद पुलिस ने उसे खोजने की काफी कोशिश की लेकिन उसका कोई पता नहीं लग पाया। आखिरकार कोर्ट के माध्यम से उसके सरस्वती नगर स्थित मकान को नीलाम करने का ऑर्डर जारी किया गया। इस मकान को राज्य सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया। कई बार इसे नीलाम करने की प्रक्रिया की गई। लेकिन इंद्रा (Indra) के डर से कोई खरीदार ही सामने नहीं आया। यह मकान अभी तक राज्य सरकार के कब्जे में है। इंद्रा (Indra) की तरफ से इसे छुड़ाने का भी प्रयास नहीं हुआ।
आखिरकार जून 2017 में पुलिस की एक विशेष टीम ने इंद्रा (Indra) को मध्य प्रदेश के देवास में शिप्रा नदी के किनारे पकड़ लिया। इंद्रा (Indra) के देवास में होने की खबर उदयपुर एटीएस चौकी को सबसे पहले मिली थी। दो महीने तक उस पर नजर रखी गई। साढ़े पांच साल बीतने और गरीबों जैसी हालत में होने की वजह से इंद्रा की फोटो के आधार पर पहचान नहीं हो पा रही थी। आखिरकार पुलिस ने इंद्रा (Indra) को पकड़ ही लिया।
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इंद्रा (Indra) ने शिप्रा नदी के तट पर अपने एक जान पहचान वाले के यहां पनाह ले रखी थी। यह परिवार उसके पिता को जानता था और करीब 55 साल पहले मारवाड़ से देवास जाकर बस गया था। उसके मकान में इंद्रा (Indra) एक संन्यासी बन कर रही। पुलिस से बचने के लिए उसने मोबाइल और एटीएम तक काम में लेना बंद कर दिया था।
भंवरी देवी के पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा से रिश्ते थे। उनके साथ उसकी सीडी भी थी। कहा जाता है कि इंद्रा (Indra) के भाई और पूर्व एमएलए मलखान सिंह विश्नोई से भी भंवरी के संबंध थे। उससे एक बेटी भी थी। भंवरी उस बेटी का हक मांगने की धमकी दे रही थी। अपनी बेटी को हक दिलाने की मांग को लेकर एक बार भंवरी पुलिस थाने तक भी जा पहुंची। वहां से उसे इंद्रा (Indra) वापस लेकर गई। इंद्रा (Indra) ने उसे कदम-कदम पर रोका था।
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इंद्रा (Indra) भंवरी के पास मौजूद मदेरणा की सीडी भी हासिल करना चाहती थी। उसका मकसद था कि इसके दम पर मदेरणा की मंत्री पद से छुट्टी हो जाएगी और उसका भाई मंत्री बन जाएगा। इसके बाद इंद्रा (Indra) ने अपने भाई मलखान व परसराम से चर्चा कर भंवरी के अपहरण की योजना तैयार की। ताकि अपहरण कर भंवरी से सीडी हासिल की जा सके। लेकिन अपहरण के बाद घटनाक्रम इतनी तेजी से घूमा कि भंवरी की हत्या हो गई। इसके बाद इंद्रा (Indra) की पूरी योजना धरी रह गई।
यह भी आरोप है कि इंद्रा (Indra) ने भंवरी के मर्डर के बाद उसके पति अमरचंद को 10 लाख रुपए दिए। उसे भंवरी के मर्डर का आरोप मंत्री मदेरणा पर लगाने के लिए तैयार किया। इंद्रा (Indra) के कहने पर अमरचंद ने मदेरणा के खिलाफ केस दर्ज करवाया और खुद इंसाफ के लिए आंदोलन चलाने लगी। इंद्रा (Indra) की योजना मदेरणा को भंवरी के मर्डर में फंसाकर अपने भाई मलखान को मंत्री बनवाना थी।
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