नुसरत भरूचा (Nushrat Bharucha) ने खत्म की पिपरिया के गांव में शूटिंग
बॉलीवुड अभिनेत्री नुसरत भरूचा (Nushrat Bharucha) बहुत जल्द अक्षय कुमार के साथ फिल्म राम सेतु (Ram Setu) की शूटिंग रिज्यूम करने वाली हैं। हाल ही में उन्होंने मध्य प्रदेश में विशाल फुरिया की फिल्म ‘छोरी’ की शूटिंग पूरी की है। फिल्म की शूटिंग भोपाल से 150 किलोमीटर दूर पिपरिया इलाके में हुई है। फिल्म से जुड़े सूत्रों ने बातचीत के दौरान बताया कि नुसरत भरूचा (Nushrat Bharucha) ने बायोबबल चेन को बरकरार रखने के लिए पिपरिया में ही रुक कर फिल्म की शू्टिंग की, साथ ही गन्ने के खेतों में सांप निकलने पर भी वो नहीं डरीं।
सूत्रों ने के अनुसार सेट पर बायोबबल चेन ब्रेक न हो उसके लिए नुसरत भरूचा (Nushrat Bharucha) पिपरिया के ही एक होटल में रह रही थीं। मेकर्स को दरअसल पिपरिया में ऐसा लोकेशन मिला जो नॉर्थ इंडिया के उन इलाकों से मिलता जुलता है जहां अक्सर भ्रूण हत्याएं होती रहीं हैं। वहां लड़कियां होने पर उन्हें पास के तालाब में डूबा दिया जाता रहा है।
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फिल्म के प्रोडक्शन डिजाइनर हेमंत (Hemant) ने बताया बतौर लोकेशन पिपरिया ने मेकर्स की और भी जरूरतों को पूरा किया। वहां गन्ने के खेत का बड़ा पैच भी मिल गया था। उस पैच के सेंटर में गन्ने के पौधों को हटा कर घर का सेट बनाया गया। पूरी फिल्म की 70 फीसदी शूटिंग उसी सेट पर हुई है। वह सेट और आसपास गन्ने के घने जंगल फिल्म में अहम किरदार हैं। वहां पर सेंटर में घर है जहां से चारों तरफ पगडंडीनुमा रास्ते और गलियां हैं। गन्ने इतने घने हैं कि नए इंसान के लिए वह भूल भुलैया सा है। वह सब फिल्म में हॉरर के प्रभाव को और बढ़ाता है। वह पूरा खेत 2500 वर्ग फीट में फैला हुआ है।
आपको बता दें की उस घर को और उसके चारों तरफ पगडंडीनुमा गलियां बनाने में 25 दिनों का वक्त लगा। खेतों से कभी कभार सांप भी निकला करते थे। वह किसी को डस ना लें, उसके लिए हमने खेत के लोकल केयर टेकर की मदद मांगी। उन्होंने 10 पैकेट पाउडर दिया। उसकी स्मेल बहुत ज्यादा थी। उससे सांप दूर रहा करते थे। उसकी स्मेल से सब इरिटेट होते थे, मगर उस माहौल में भी नुसरत भरूचा (Nushrat Bharucha) और बाकी कलाकार शूट करते रहे।
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सूत्रों ने बताया की पिपरिया के अलावा भोपाल के चार पांच लोकेशन्स पर भी नुसरत भरूचा (Nushrat Bharucha) ने फिल्म की शूटिंग की। वहां से 39 किलोमीटर दूर सीहोर इलाके में मेकर्स को कुंआ मिल गया, जिसमें बच्चियों को डूबो के मार दिया जाता रहा है। वहीं फिर प्रोडक्शन के लोगों ने कुएं के इर्द गिर्द गन्ने के पौधों के पैच लगाए। फिर पोस्ट प्रोडक्शन में सीहोर और पिपरिया के लोकेशन्स को मर्ज किया गया। नॉर्थ इंडिया के घरों में पाई जाने वाली चारपाइयां, ओखल, मुसल आदि पिपरिया के आसपास के गांवों से अरेंज की गई थी।
मिडिया रिपोर्ट्स के अनुसार फिल्म की शूटिंग पहले लॉकडाउन के जस्ट खत्म होने के माहौल में हुई थी। तो क्रू मेंबर्स पिपरिया में गन्ने के खेतों में पीपीई किट पहन शूट करते थे। आलम यह था कि बायोबबल में रहा क्रू मेंबर रात के दो बजे भी कोई क्रू मेंबर भोपाल से पिपरिया आए तो उसका आर.टी.पी.सी.आर. टेस्ट होता था। रिपोर्ट आने पर ही सेट के करीब आने की अनुमति रहती थी। यह सब करने में नुसरत भी आनाकानी नहीं करती थीं। सेट को तीन घेरों में डिवाइड किया गया था। भीतरी घेरे में 15 क्रू मेंबर रहते थे। बीच वाले घेरे में 40 से 50 लोग रहते थे। सबसे बाहरी वाले घेरे में रहने वाले लोगों को बीच और भीतर के घेरे में आने की इजाजत नहीं होती थी। इस तरह मेकर्स ने बिना किसी के कोविड संक्रमित हुए शूट को अंजाम दे दिया।